प्रभात गुप्ता | नई दिल्ली
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वर्तमान समय में मानव जीवन का अभिन्न अंग बन गया है । किसी न किसी रूप में हम इससे जुड़े ही हुए हैं। दुनिया भर की देशों ने इसको बढ़वा देने और इस्तेमाल करने की सिफ़ारिशे भी कर रही है । इस अभियान में भारत ने भी AI को बढ़वा देने के लिए ग्लोबल एआई शिखर सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है । जैसे-जैसे AI की उपयोगिता बढ़ रही ठीक उसी प्रकार से इसकी दुरूपयोग की सम्भावनाए भी सामने आ रही।
आज सोशल मीडिया के बढ़ते इस दौर में AI का उपयोग करके ऐसे फोटोज़ और वीडियोज वायरल हो रहे हैं । जो कि डीप - टेक अर्थात् डीप फेंक का शिकार है ।
जहां कुछ दिनों पहले साउथ अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का डीपफेक वीडियो वाइरल हुआ तो यह फिर से सरकार के संज्ञान में आया। वही दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गरवा खेलते हुए डीपफेक वीडियो भी बड़ी तेजी से वाइरल हुआ । जिस पर प्रतिक्रिया स्वरूप उन्होंने भी चिंता जाहीर की। इसी प्रकार एआई के इस्तेमाल से आवाज बदल कर अंजाम दी गई आर्थिक अपराध के मामले भी सामने आये हैं । साथ ही सोशल मीडिया पर वाइरल प्रधान मंत्री मोदी की आवाज की वीडियो चिंता का विषय है । जहां एक तरफ AI आम जीवन के कार्यों को आसान कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ यह अपने ऊपर निर्भरता के साथ चुनौतियों को भी बढ़ा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का इस पर बयान देने के बाद से ही यह राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है । इस पर सरकार को शक्ति से कदम उठाने की जरूरत है। हालांकि ऐसा नहीं भारतीय संविधान में इनसे निपटने के लिए प्रावधान नहीं है बल्कि इसका बदलता रूप उनको भी आश्चर्यचकित कर रहा है। IT अधिनियम – 2000 के तहत सोशल मीडिया के बड़े - छोटे सभी प्लेटफॉर्मों को इस प्रकार के वीडियो को अपलोड होने के साथ – साथ अपलोड हो चुके वीडियोज़ को हटाने के लिए सशक्त कदम उठाने के दिशा निर्देश देने की जरूरत है । इसी प्रकार साइबर सुरक्षा सम्बन्धी विभिन्न कानून जैसे - राष्ट्रीय साइबर समन्वय केन्द्र ( I4C ) , CERT-in , राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल आदि कानून के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए। ताकि एआई के गलत इस्तेमाल को रोक जा सके । वहीं प्लेटफॉर्म अगर कोई कदम नहीं उठाती है तो सरकार को उनके विरुद्ध उचित कार्यवाही भी करनी चाहिए ।
हालांकि इन सभी घटनाओं में यह जल्द से जल्द सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं। जो शायद इनका मकसद भी होता है। लेकिन सरकार को इस बढ़ते डिजिटलीकरण के दौर में इनकी सत्यता का परीक्षण करके उनके खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई करना चाहिए ।
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