प्रभात गुप्ता
500 वर्षों की तपस्या के उपरांत 22 जनवरी को करोड़ों सनातनियों के प्राण प्रभु श्री राम अपने परम् धाम अयोध्या को पधारे हैं, वर्षों से चली आ रही संघर्ष को पूर्णत: विराम मिला. 22 जनवरी का वह दिन अलौकिक और अविस्मरणीय था. शुक्ल द्वादशी को अभिजित मुहूर्त में रामलला अपने जन्मभूमि पर बने नवनिर्मित भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हो गए. इस शुभ अवसर पर सारे देश में हर्ष और उल्लास का माहौल रहा. देश के हर शहर, गांव, गली और मोहल्ला में रामधुनी और अखंड पाठ का आयोजन किया गया. पूरे देशवासियों ने घर-घर में राम नाम के दीप प्रज्वलित करके अपने प्रभु का स्वागत किया. भारत ही नहीं पूरी दुनिया राममय दिखी.भव्य अयोध्या नगरी अपने प्रभु के स्वागत में स्वर्ग के भांति दिव्य आभा बिखेर रही थी. श्री रामलला के मनोरम, मनमोहक और मन को मोहित करने वाले बाल स्वरूप प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सम्पन हुआ. मुख्य यजमान के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राघव के विग्रह स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा की और अनुष्टान को पूरा किया.
वर्षों की संघर्ष को आखिरकार विराम मिला कई बलिदान और कानूनी प्रक्रियाओं के साथ हजारों बाधाओं से पार पाते हुए आखिर में रामलला को उनके जन्मभूमि पर विराजमान किया गया. कई वर्षों के सपने को साकार होता देख रामलला के भाव विभोर हो गए. पूरी अयोध्या नगरी, नगर वासियों के साथ अपने रामलला के स्वागत में झूम रही थी चारों ओर पुष्प की वर्षा कराया गया. 84 सेकेंड के दिव्य मुहूर्त में रामलला को प्रतिष्ठित किया गया. इस अवसर पर देश के सभी गणमान्य व्यक्तियों को मंदिर समिति की ओर से आमंत्रित किया गया था प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत आम जनता के लिए मंदिर को खोल दिया गया है. वहीं पहले ही दिन रामलला के भक्तों की बाढ़ सी उमड़ पड़ी 23 जनवरी को 6 लाख भक्तों ने रामलला के दर्शन किए.
राम के सम्मान का यह संघर्ष बहुत पुरानी है. 1528, में राम जन्मभूमि के ऊपर मुगल शासक बाबर के सम्मान में उसके सूबेदार मीरबाकी ने अयोध्या में एक मस्जिद का निर्माण करवाया जो रामजन्म भूमि के ऊपर बनवाया गया था. 330 साल के बाद 1858, में यह लड़ाई तब कानूनी हो गई जब परिसर में हवन करने पर पहला एफआईआर दर्ज किया गया. दर्ज रिपोर्ट में परिसर के अन्दर मंदिर के होने के साक्ष्य भी मिले यह राम के प्रतीक का पहला प्रमाण था.जिसके बाद राम जन्मभूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में हिंदुओं और मुस्लिमों को अलग-अलग पूजा और नमाज की इजाजत मिली. 27 साल के बाद 1885, में निर्मोही आखड़े के महंत रघुबर दास ने स्वामित्व के लिए फैजाबाद न्यायालय में मुकदमा दायर किया. देश एक तरफ जब आजादी की लड़ाई लड़ रही थी तो वहीं दूसरी ओर जन्मभूमि का यह संघर्ष भी जारी था. आजादी के 2 वर्ष के बाद 22 दिसंबर 1949 को ढ़ांचे के नीचे मूर्तियों की प्राप्ति हुई. जिसके बाद हिंदु महासभा की ओर से मुकदमा दायर कर गुंबद के नीचे स्थित प्रतिमा की पूजा-अर्चना की मांग की गई. अर्जी का यह सिलसिला जारी रहा, 1986 में दायर एक अर्जी में कोर्ट ने मस्जिद का ताला खोलने का आदेश दे दिया. 1989 में काफी विवाद के बाद राम जन्मभूमि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शिलान्यास की इजाजत दी. बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल से शिलान्यास करवाया गया. 1990 में लालकृष्ण आडवाणी के रथ यात्रा के दो साल बाद 1992 को विवादित ढ़ांचे को गिरा दिया गया. देश में सांप्रदायिक तनाव का माहौल पैदा हो गया जिसमें कितनों की जान गई. 2003 में कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को विवादित स्थल पर खुदाई का आदेश दिया और रिपोर्ट न्यायालय में सौंपने को कहा. निचली आदालतों से होते हुए श्रीराम जन्मभूमि की लड़ाई 2017 में देश के सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गई सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा मध्यस्थता की पेशकश की गई . 2019 में 134 वर्षों की तपस्या और संघर्ष सफल हुआ. 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय का अंतिम फैसला आया और रामलला को उनका अधिकार उनकी जन्मस्थली का स्वामित्व प्राप्त हुआ. 2020 में अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला के साथ निर्माण कार्य शुरू किया गया. मंदिर निर्माण के लिए सरकार ने राम जन्मभूमि तीर्थ स्थल ट्रस्ट की घोषणा की.
134 साल की कानूनी लड़ाई के बाद 22 जनवरी को वह ऐतिहासिक पल आया और श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा हुई. इस प्रक्रिया में कई बार भगवान को अपने होने का प्रमाण देना पड़ा. देश जहां राम नाम से उल्लासमय थी वहीं कुछ लोगों ने इस पर भी राजनीति करना ही उचित समझा, पहले राम का विरोध और उसके उपरांत प्राण प्रतिष्ठा का विरोध भी जारी रहा. 70 एकड़ में फैला मुख्य तीर्थ स्थल , लगभग 10 लाख भक्तों की क्षमता के साथ तैयार किया गया है. नवनिर्मित अयोध्या नगरी आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है. ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस जेफरीज ने अपनी एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि राम मंदिर भारत की पर्यटन क्षमता को बढ़ावा देगा. जेफरीज ने अपने रिपोर्ट में राम मंदिर से होने वाले आर्थिक फायदों को विस्तार से बताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अयोध्या में हुआ ये बदलाव और राम मंदिर हर साल 5 करोड़ से ज्यादा पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करेगा.गौरतलब है कि अयोध्या में कई बदलाव हुए हैं, एयरलाइंस, सड़क, हॉस्पिटल्स, होटल्स तथा कई कंपनियों ने अपने प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं. जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अयोध्या का राम मंदिर एक बड़े आर्थिक प्रभाव के साथ आता है, क्योंकि भारत को एक नया पर्यटन स्थल मिला है, यहां पर हर साल पांच करोड़ श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचेंगे. वहीं एसबीआई के द्वारा जारी एक रिपोर्ट में राम मंदिर से होने वाले आर्थिक फायदों को बताया गया है.
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