चन्द्रयान मिशन की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को सौर मिशन आदित्य एल-1 में बड़ी कामयाबी मिली. अंतरिक्ष यान आदित्य एल-1 125 दिनों की यात्रा और 15 लाख किमी की लंम्बी दूरी तय करने के बाद 6 जनवरी को अपने गंतव्य स्थान पर सफलतापूर्वक पहुंच गया. इस सफलता के बाद इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा, यह मिशन केवल भारत के लिए महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसरो ने कहा, वैज्ञानिकों को थोड़ी सुधार करने पड़े ताकि अंतरिक्ष यान को उसके सही स्थान पर स्थापित किया जा सके. यह अपने निर्धारित बिन्दु हेलो ऑर्बिट से दूर उच्च दाब की ओर बढ़ रहा था . यान को हेलो ऑर्बिट में स्थापित करने के लिए थोड़ी सुधार करनी पड़ी.
हेलो कक्षा की बात करे तो यह एल-1 पर एक आवधिक त्रि-आयामी कक्षा है जिसमें सूर्य , पृथ्वी और एक अंतरिक्ष यान शामिल हैं. हेलो ऑर्बिट एल-1 बिंदु के चारों ओर घूमती है जिसका आकार एक आयाम में 6 लाख किलोमीटर और दुसरे आयाम में एक लाख किलोमीटर है . इस कक्षा में एल-1 को पांच वर्षों के मिशन के लिए स्थापित किया गया है जहां से एल-1 निरंतर सूर्य पर होने वाले हलचल की जानकारी इसरो को भेजेगा . साथ ही इस बिंदु पर ईंधन की बचत भी होगी
भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2 सितंबर को बेंगलूर के श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 लॉन्च किया था । चंद्रयान 3 की सफलता के बाद पूरे देश ने इसरो को बधाई दी थी चंद्रयान 3 के लॉन्च होने के 10 दिनों के भीतर आदित्य एल-1 को सूर्य की अध्ययन के लिए रवाना किया गया था। पीएम मोदी ने बीती 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 की सफलता के बाद सूर्य अभियान की घोषणा की थी।
PSLV C57 से आदित्य एल-1 का किया गया प्रक्षेपण
PSLV C57 से आदित्य एल-1 का प्रक्षेपण किया गया, 63 मिनट 19 सेकेंड बाद आदित्य एल-1 PSLV रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया। एल-1 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहा था, 15 बार थ्रस्टर फायर कर एल-1 का ऑर्बिट बढाया गया था, 17 वे दिन फाइनल थ्रस्टर फायर करके यान को एल-1 प्वॉइंट की ओर भेजा गया।
एल-1 प्वॉइंट सूर्य के सबसे करीब है, यही से यान सूर्य की विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करेगा और सूर्य के रहस्यों को जानने की कोशिश के साथ-साथ वैज्ञानिक अध्ययन और विश्लेषण करने के लिए तस्वीरें भी धरती पर भेजेगा। एल-1 पॉइंट पर किसी सैटेलाइट को पहुंचाने का एक बड़ा फायदा यह है कि यहां से सूरज को लगातार देखा जा सकता है. तथा इसमें ग्रहण या अन्य तरह की कोई बाधा नहीं आती है. एल-1 पॉइंट पर आदित्य एल-1 के पहुंच जाने पर सोलर एक्टिविटी पर भी नज़र रखा जायेगा।
क्या है एल-1 प्वॉइंट
फिजिक्स की दृष्टि से देखें तो लार्जेंट प्वॉइंट उस बिंदु को कहते है जहां दो पिंडो की गुरुत्वाकर्षण प्रणाली में, एक छोटी कक्षा है. जहां एल-1 को रखा गया है और वह वहां स्थिर रहेगा साथ ही इस प्वॉइंट पर ईंधन की खपत भी कम होगी तथा स्पेसक्राफ्ट वहां बनी रहेगी। आदित्य एल-1 वैद्युत – चुंबकीय कण और चुम्बकीय क्षेत्र संसूचको का उपयोग कर के फोटोस्पीयर, क्रोमोस्पीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) और सूरज से निकलने वाली आग या गर्मी के निकलने के पहले और बाद की गतिविधियों, अंतरिक्ष मौसम समेत कई अन्य वैज्ञानिक पहलुओं का अध्ययन करेगी।
आदित्य एल-1 के साथ सात पेलोड को PSLV की मदद से सूर्य की रहस्यों को सुलझाने के लिया भेजा गया है जिनमें से चार पेलोड लगातार सूर्य पर नज़र रखेगी और अन्य तीन पेलोड लैग्रेंज- 1 पर कणों और अन्य क्षेत्रों पर शोध के लिए भेजी गयी है।
Write a comment ...